पशुपालन: गर्मियों में हर किसान ये बात जरूर ध्यान रखें, पशु खोने के नुकसान से बचें

कड़ाके की सर्दियों के बाद अब गर्मी का मौसम भी शुरू हो चुका है। जैसे-जैसे यह मार्च के महीने में दिन बीते जाएंगे गर्मी और ज्यादा बढ़ती जाएगी, जिससे गर्मी का असर पशुओं पर भी देखने को मिलेगा। इस मौसम में दोपहर में चलने वाली गर्म हवाएं और बहुत तेज धूप केवल इंसानों के लिए नहीं बल्कि, जानवरों के लिए भी अच्छी नहीं है। ऐसे में किसान भाइयों को अपने पशुओं की देखभाल करने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।

गर्मी के मौसम में जानवरों को बीमारी बहुत जल्दी पड़ती है जिससे दुधारू पशु के दूध के उत्पादन में कमी आ जाती है। ऐसे समय में पशु के अंदर कुछ खास लक्षण दिखाई देने लगते हैं। आपके पशु इस मौसम में बीमार न हो इसके लिए आपको अपने सभी पशुओं की दिनचर्या और खान-पान को गर्मी के मौसम के हिसाब से बदलना चाहिए।

दोपहर में जब गर्म लू चलें तो जानवरों को खुले स्थान पर न बाँधे। वही सुबह और शाम के समय में जब धूप तेज ना हो तो जानवरों को खुले हवादार स्थान पर जरूर बाँधे।

अगर पशु को लू लग जाए और पशुओं के आवास पर पंख या कूलर की व्यवस्था नहीं है तो, आपको उनके माथे ठंडे पानी अथवा बर्फ की पट्टी बांधनी चाहिए। इन दिनों आप पशु का दाना कम करके उनके हरे चारे में वृद्धि कर सकते हैं। इसके साथ ही पशु को एक दिन में दो बार स्नान कराने में आलस ना करें।

अगर पशु बहुत ज्यादा लार गिराने लग जाए अथवा पसीना या बेचैनी की स्थिति में हो, तो ऐसे समय में जानवर के शरीर का तापमान बढ़ जाता है। इसके अलावा यदि नाक से खून आने और पतले दस्त, आंख और नाक का लाल हो जाना भी बीमारी का संकेत है। बीमार होने पर पशु भोजन में भी कमी कर देता है और ठंडा स्थान की तलाश में रहता है।

पशुओं को रोगों से बचने के लिए टीकाकरण कराना बहुत जरूरी है। पशु के खाने में हरी घास को शामिल करें जिससे उसे पूर्ण आहार मिले। गर्मी के दिनों में पशुओं को तीन से चार बार पानी जरूर पिलाएं। पानी में आप थोड़ा सा नमक भी मिल सकते हैं, गर्मियों में पशुओं को आटे से बनी रोटी, चावल न खिलाएं। संतुलित आहार में दाना और चारे का अनुपात 40 और 60 का रखें।

रोग से बचाव के लिए पशु को 100 ग्राम प्याज, 10 लहसुन की कली, 10 ग्राम जीरा, 10 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम गुड़ तथा 100 ग्राम अदरक का पेस्ट बनाकर छोटे छोटे हिस्सों में दिन में 3-4 बार 3-4 दिन तक पशु को दें। इसके अलावा जैसे ही पशु बीमार हो तो, बिना किसी लापरवाही के पशु चिकित्सक की मदद लेकर उचित उपचार करवाऐं ताकि, पशु जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो सके।

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